अंजान आदमी की साथ लव्ह स्टोरी ♥️👩‍❤️‍👨

 एक छोटे से गांव की लड़की, जिसका नाम राधिका था, हमेशा से अपने सपनों की दुनिया में खोई रहती थी। उसके पास एक अजीब-सी चाहत थी कि उसकी ज़िंदगी में एक दिन कोई अंजान व्यक्ति आएगा, जो उसकी पूरी दुनिया बदल देगा। उसे नहीं पता था कि यह उसकी किस्मत में लिखा था या नहीं, पर वह अपनी इस चाहत को दिल में संजोकर बैठी थी।

एक दिन राधिका अपने कॉलेज से लौट रही थी कि तभी बारिश शुरू हो गई। उसके पास छतरी नहीं थी, इसलिए वो दौड़ते हुए पास के एक मंदिर के बरामदे में जाकर खड़ी हो गई। तभी वहां एक अजनबी व्यक्ति आया। वो साधारण से कपड़ों में था, लेकिन उसकी आंखों में एक गहराई और मुस्कान में एक सुकून था।


उसने राधिका की तरफ मुस्कुराते हुए देखा और कहा, “लगता है बारिश जल्दी रुकने वाली नहीं है।”


राधिका थोड़ी घबराई, लेकिन उसके चेहरे पर उसकी मासूमियत झलक रही थी। उसने धीरे से हाँ में सिर हिलाया। वो आदमी भी वहीं बैठ गया और दोनों चुपचाप बारिश का आनंद लेने लगे। कुछ देर बाद उस आदमी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा, "मेरा नाम अर्जुन है, और मैं यहाँ घूमने आया हूँ। तुम यहाँ की लगती हो। क्या इस जगह के बारे में कुछ बता सकती हो?"


राधिका को अर्जुन का स्वभाव अच्छा लगा और उसने धीरे-धीरे उसे गाँव के बारे में बताना शुरू कर दिया। दोनों के बीच बातचीत चल निकली और कुछ ही देर में वे एक-दूसरे के साथ बेहद सहज महसूस करने लगे। अर्जुन के विचार और सोच का दायरा राधिका को बहुत पसंद आया, और उसे ऐसा लगा कि वो मानो उसे बरसों से जानती है।


अर्जुन एक लेखक था, और उसने बताया कि उसे कहानियाँ लिखने का शौक है। राधिका ने उसे बताया कि वह भी कविताएं लिखती है। अर्जुन ने उसकी कविताओं के बारे में जानने की जिज्ञासा दिखाई और राधिका ने अपने पास रखी एक डायरी अर्जुन को दिखा दी। अर्जुन ने उसकी कविताएँ पढ़ीं और उसकी तारीफ की। अर्जुन की बातें सुनकर राधिका के चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान आ गई। उसे लगा जैसे अर्जुन उसके दिल की गहराई को समझता हो।


आखिरकार बारिश रुक गई, और दोनों ने एक-दूसरे को अलविदा कह दिया। हालांकि, जाते-जाते अर्जुन ने कहा, “मुझे यकीन है कि हम फिर मिलेंगे, राधिका।” राधिका ने उसकी बात पर हल्की मुस्कान दी और दोनों अपने-अपने रास्ते चले गए।


अर्जुन वापस शहर लौट गया, लेकिन उसके बाद भी राधिका की जिंदगी में अर्जुन की मौजूदगी कायम रही। अर्जुन ने उससे संपर्क में रहने के लिए उसका पता लिया था और धीरे-धीरे उनके बीच पत्रों का आदान-प्रदान शुरू हो गया। दोनों अपने जीवन के छोटे-छोटे पल एक-दूसरे के साथ बांटने लगे।


उनके पत्रों में प्रेम की आहट थी। राधिका का दिल हर पत्र के इंतजार में धड़कता था और अर्जुन भी उसकी कविताओं और उसकी मासूमियत में खो गया था। उनके बीच प्यार धीरे-धीरे गहराता चला गया, एक ऐसा प्यार जो शब्दों में बसा हुआ था, लेकिन उनकी भावनाओं में दिल से दिल तक महसूस होता था।


एक दिन अर्जुन ने राधिका को अपने शहर आने का निमंत्रण दिया। उसने लिखा, "राधिका, क्या तुम मुझसे मिलने आ सकती हो? मुझे लगता है कि अब हमें एक-दूसरे से मिलकर अपने दिल की बात कह देनी चाहिए।" राधिका का दिल यह पत्र पढ़कर तेज़ी से धड़कने लगा। उसे एहसास हुआ कि वो भी अर्जुन से प्यार करती है, और उसकी दुनिया अब अर्जुन के इर्द-गिर्द ही घूमती है।


राधिका ने अपने माता-पिता को समझाया और अपने शहर से पहली बार अकेले बाहर निकली। वह अर्जुन के शहर पहुंची, और उसे स्टेशन पर देखकर उसकी आँखों में खुशी और थोड़ी सी घबराहट दोनों झलक रहे थे। अर्जुन ने उसे देखते ही मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हारे बिना मेरी कहानियां अधूरी हैं, राधिका।"


उसकी बात सुनकर राधिका का दिल खुशी से भर गया, और वह समझ गई कि यही वह व्यक्ति है जिसका उसे इंतजार था। दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थामा और चुपचाप एक-दूसरे की आंखों में झांकते रहे। यह उनके रिश्ते की शुरुआत थी, जो एक अनजान मुलाकात से शुरू हुआ था लेकिन अब एक मजबूत बंधन में बदल चुका था।



अर्जुन और राधिका का प्यार एक ऐसा खूबसूरत एहसास था, जो शब्दों और भावनाओं के धागों से बंधा हुआ था। दोनों ने एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने का फैसला किया और उनकी प्रेम कहानी गांव की गलियों में एक खूबसू

रत याद बनकर बसी रही।


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